मेरी माँ
मेरी माँ
माँ तुम हो मेरा आधार,
तुम्हारा प्यार है अपार,
जो न दे पायेगा कोई और!!
चोट लगती है मुझे,
पर आँखों में ऑंसू आते है उसके,
मेरे बोलने से पहले ही समझ ले,
क्या है मेरी चाह,
ऐसी है मेरी माँ!!
चाहे रहे दूर या पास,
आने में हो अगर थोड़ी सी देरी,
चिंता से है जी उसका घबराता,
नज़रे न उसकी झपकती,
रास्ता बस मेरा तकती,
ऐसी है मेरी माँ!!
चाहे दुनिया की नज़र में हो में मामूली,
पर मेरी माँ की नज़र में हूँ महारानी!!
नादान है वह लोग,
जो कहते है तुम्हे नाजुक,
देखा है तुम्हे हँसते हँसते,
हर मुश्किल पार करते!!
चाहे हो बहुत गर्मी,
बिन ए सी न हम बैठ पाते,
पर एक तुम ही हो ,
जो गर्मी में भी गैस के सामने तपती,
बनाने को कुछ ख़ास!!
जब भी सब्जी काम है बनती,
हमी को सब परोस देती,
और बड़े आराम से कह देती,
मेरा खाने का मन नहीं है बेटी,
ऐसी है मेरी माँ!!
खुद को भूल कर,रखती हो ख़याल सबका,
करती हर संभव कोशिश, न हो हमे तकलीफ जरा भी,
सुबह की पहेली किरण से उठाना,
शाम तक बिना रुके काम में लगे रहना,
सोचती हूँ आज भी,
कैसे कर लेती हो तुम यह सभी!!
मकान को घर तुम बनती,
मेरा मायका है वहाँ जहाँ तुम हो रहती!!
क्यूंकि तुम हो तो सब है,
हर पल जो बीते तुम्हारे साथ,
है बेहद ही ख़ास!!
करती हूँ हाथ जोड़ कर येही वंदना,
हर जनम में मुझे तुम ही मिलना,
तुम सलामत रहो सदा,
क्यूंकि तुम में ही बसता है खुदा!