STORYMIRROR

S Ram Verma

Romance

2  

S Ram Verma

Romance

मेरी हीर !

मेरी हीर !

1 min
250

प्रेम तुमसे है 

मुझे कुछ कुछ

हीर-राँझा सा ही

अदृश्य अपरिभाषित

और अकल्पित है


जिसकी सीमायें 

और इसका आकर्षण 

भी कुछ ऐसा है  

जो विकर्षण की हर 

सीमा तक जाकर 

भी तोड़ आता है 


दूरियों की सभी 

बेड़ियाँ और अंततः 

समाहित कर देता है  

मुझे तुझमे कुछ ऐसे 


की सोचने लग जाता हूँ  

कि अब तुम्हे मैं पुकारू 

मेरी हीर कह कर !


ଏହି ବିଷୟବସ୍ତୁକୁ ମୂଲ୍ୟାଙ୍କନ କରନ୍ତୁ
ଲଗ୍ ଇନ୍

Similar hindi poem from Romance