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मेरे सपने, मेरा वज़ूद

मेरे सपने, मेरा वज़ूद

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माँ कहती है, अब तुम बड़ी हो गई हो,

ध्यान से ज़रा मेरी बात सुनो,

बचपन की नादानियाँ छोड़ो,

दुनियादारी की थोड़ी बहुत समझ लो।


हाँ-हाँ माँ, तेरी सब बात सुनूंगी,

समझूँगी और मानूँगी,

पर सुनी सुनाई बातें कहकर,

मेरी उड़ान तो मत रोको।


और ये क्यों कहती हो कि पंखों को,

अपने छोटा रखना है,

एक-एक क़दम तुमको फ़िर अब से,

फूँक-फूँक-कर चलना है।


उमर ही क्या है मेरी अभी सिर्फ,

बारह सावन ही तो देखें हैं,

कैसे आनंद लेते हैं कि इनका,

तरीक़े अभी-अभी तो सीखें हैं।।


अभी तो समझ में आया कि,

दोस्त क्या होते हैं, कैसे ज़ीना होता है,

और तुम कहती हो,

सहेलियों के घर खेलने मत जाओ।


दुपट्टा ओढ़ना शुरू कर दो तुम,

घर से बाहर अब कम जाओ,

सलीका सीखो बैठने का,

खड़े होने का,चलने का।


जैसे जीती हैं सब नारी,

तुम भी उसी ढ़ंग में आओ

नहीं-नहीं माँ, मैं ध्यान रखूँगी,

अपना और घर के अंगना का।


इतनी चिंता ठीक नहीं है,

चैन से तुम अब सो जाओ,

मैंने ख़्वाब देख़ना तो अभी शुरू किये हैं,

कैसा ये इन पर ग्रहण लगा है ?


जो बचपन है मेरे ज़ीवन का,

सिसक के वो भी अब रोने लगा है,

इक बात है मन में, मैं पूछूँ तुम से ?

ठीक-ठीक उसका तुम्हें ज़बाब देना है।


कितनी कैदें तुमने पार की हैं,

और कितनी कैदों को पार करना है ?

कितनी मौतें तुम मरी हो,

कितनी मौतें अब मुझे मरना है ?


ये क्या दुनिया होती है जिसमें,

ग़लती किसी क़ी,

किसी औऱ को भुगतना पड़ता है,

तैयार हो ग़र ऊँची उड़ान को तो,

बीच में ही रुकना पड़ता है।


अपनी पूरी ज़िंदगी में,

इतना सहा है तुमने जैसे,

कितना सहना पड़ेगा मुझे,

तुम्हारी उमर तक आते-आते ?


कट जाती है ज़िन्दगी सबकी ऐसे ही,

मेरी भी कट जायेगी,

इतनी बात तो समझ गई हूँ,

बारह साल की होते-होते।


वैसे तो हर स्त्री-ज़ीवन स्वयं,

संघर्ष की कहानी होता है,

भीतर जिन्होंने समझौतों का,

अथाह साग़र छिपा लिया होता है।


ऐसी ही कोई सादी-सी,

अपनी कहानी ना बनने दूँगी,

याद रखे जो सारी दुनिया इक दिन,

नभ की चोटी पे पहुँचूंगी।


तुम्हारा साथ ग़र होगा तो माँ,

इस जग से लड़ पाऊँगी,

जितना ज़्यादा दबायेगा ये ज़ग,

उतना निखर के आऊँगी।


एवरेस्ट मिलता है जहाँ आसमां से,

उतना जाना है आगे,

बाक़ी लड़कियाँ मुझे देखें,

तो ज़ज़्बे की भावना जागे।


तो बस माँ आगे से मेरे,

लड़की होने की दुहाई मत देना,

करूँगी ज़ग में नाम तुम्हारा रोशन,

यकीं सदा अपना मुझ पर बनाये रखना।


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