प्रेमी की गलती
प्रेमी की गलती
बहुत बड़ी गलती थी मेरी
जो तुमसे दिल लगाया था
नजाने वो कौनसी मनहूस घड़ी थी
जब तुम पर मेरा दिल आया था
जिसमे मैंने देखी थी दुनिया
वो थी तुम्हारी भोली सी सूरत
जिसको मैंने मन मे बसाया था
वो थी तुम्हारी प्यारी मूरत
जब तुमसे मिलन हुआ था मेरा
लगा था जैसे जीवन की साथी मिल गई हो
खुश था मैं उस दिन इतना ज्यादा
जैसे दीपक को बाती मिल गई हो
जब हम एक - दूजे से मिले थे
लगा था प्रेम बन्धन होगा साकार
हम दोनों मिलकर ख़ुशी से रहेंगे
और रचाएंगे अपना एक सुंदर संसार
मुझको ऐसा विश्वास था
हम रहेंगे जैसे चांद और चांदनी
युग - युग तक प्रेम गान होगा
बजेगी हमारे प्रेम की रागनी
पर तुमने मेरे बारे में एक क्षण ना सोचा
मुझे पल भर में ही छोड़कर चली गई
जिन सुखो की मैंने करी थी कल्पना
उन कल्पनाओं को दो क्षण में तोड़कर चली गई
क्या मुझे धोखा देने से पहले
एक बार भी तुम्हे नही आया ख्याल
जिसने तुमसे दिल लगाया था
तुम्हारे बिना वो हो जाएगा बदहाल
तुमने तो इश्क़ का झूठा नाटक किया
तुम्हारे लिए तो समय की बर्बादी थी
पर एक बार भी क्या तुम्हारी आत्मा ने सोचा नही
की मेरे लिए तो ये नाइंसाफी थी
बोलो क्या गलती थी मेरी
जो इतनी बड़ी सजा दी मुझको
बस इतनी ही तो खता हुई थी
की दिल से चाहा मैंने तुझको
मुझे लगा था कि तुम रिश्ता निभाओगी
पर तुम तो निकली दगाबाज़
तुम्हारे लिए ना मैं मायने रखता
और ना मायने रखते मेरे जज्बात
तुम तो मुझसे बहुत दूर चली गई
पर मुझे अभी भी है तुम्हारी कद्र
तुम तो मुझे हमेशा के लिए भूल गई
पर मुझे अभी भी है तुम्हारी फिक्र
अभी भी ईश्वर से बस इतनी कामना करता हूँ
की जिस भी रस्ते तुम जाओ वहां तुम सुखी हो
मुझको तो तुमने दे दिए अनेको दुख
पर तुम्हारे जीवन मे हर पल खुशी हो.