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प्रेमालाप

प्रेमालाप

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सबके साथ साथ मुझ पर भी

जब तुम हक़ जताती हो,

ख़ुशी महसूस होती है।


मानता हूँ स्वयं को मूल्यहीन मग़र

जब तुम मूल्य समझाती हो,

ख़ुशी महसूस होती है।


तुम्हारे ज़ीवन में है जो मेरा

वह दर्ज़ा बताती हो,

ख़ुशी महसूस होती है।


होता हूँ तुमसे दूर जब तो

यादों में मन रमाती हो,

ख़ुशी महसूस होती है।


फ़िर कई दिनों बाद मिलने पर

पिछली बातें सुनाती हो,

ख़ुशी महसूस होती है।


सब कुछ छोड़ कर जब तुम

मेरी बात पर कान लगाती हो,

ख़ुशी महसूस होती है।


किसी बात पर नाराज़ होकर

जब तुम रूठ जाती हो,

रूठे हुए को मनाने में,

ख़ुशी महसूस होती है।


मीठी नींद में जब होती हो

रोनक चेहरे पर झलकती है,

चेहरे की रंगत देखने में

ख़ुशी महसूस होती है।


होठों से या आँखों से

कुछ बोलो या न बोलो तुम,

बस तुम्हारे पास बैठने से

ख़ुशी महसूस होती है।।



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