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Suresh Sachan Patel

Abstract Tragedy Others

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Suresh Sachan Patel

Abstract Tragedy Others

।।सीता जी की अग्नि परीक्षा।।

।।सीता जी की अग्नि परीक्षा।।

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दस कंधर के मरते सारी, लंका सूनी पड़ी दिखाए।

अन्धकार में डूबी लंका, जलता न कहूॅ॑ दिया दिखाए।


सूनापन ऐसा छाया था, जैसे मरघट और श्मशान।

सूने महल अटारी सारे, जो थे रावण की अति शान।


विजय पताका फहरा राम जी, सागर तट पर बैठे आए।

कुशलक्षेम सबही का पूछा, मन में खुशियाॅ॑ रही समाए।


करी मंत्राना तब लक्ष्मन से, विभीषण राज तिलक हो जाए।

उगते सूरज की किरणों संग, विभीषण राजा दिया बनाए।


लखन लाल मन में हैं क्रोधित, क्यों न सीता के ढिंग जाए।

ग्यारह माह वियोग में काटे, क्यों अब उनको रहे तड़पाए।


मन की बातें मन में रह गई, मुख से कुछ भी कह न पाए।

तभी राम जी ने हनुमत को, सीता के पास में भेजा जाए।


सीता पास पहुॅ॑च हनुमत ने, सादर उनको किया प्रणाम।

पापी को मार दिया है प्रभु ने, विभीषण राजा मिला इनाम।


कुछ न बोली सीता माता, अखियन आँसू बह रही धार।

अति गंभीर चिंता में डूबी, मन में उपजा दुख अपार।


मार दिया लंका का रावण, फिर भी सुध न लई हमार।

आए न प्रभु पास में मेरे, आखिर गलती क्या हुई हमार।


हाथ जोड़ हनुमत तब बोले, मैया शोक देव बिसराय।

जल्दी ही मेरे राम प्रभु जी, पास में मैया लिहैं बुलाए।


विभीषण जी ने सजा पालकी, सीता जी को दिया पठाय।

देखत राम कहें सीता से, अग्नि परीक्षा अपनी दे दो आए।


विश्वास मुझे है पूरा तुम पर, पर दुनिया को देव बताए।

 उंगली उठा सके न कोई, सतीत्व अपना देव दिखाए।


हाथ जोड़ कर सीता मैया, अग्नि देव का धरा तब ध्यान।

अग्नि ज्वाला जली भयंकर, करने सीता का कल्याण।


लगा ध्यान तब राम प्रभु का, सीता अग्नि गई समाए।

कंचन जैसी तप कर सीता, अग्नि बाहर निकली आए।


अग्नि परीक्षा दे सीता ने, सतीत्व का अपना दिया सबूत।

सुग्रीव, अंगद, जामवंत जी, और गवाह बने सभी मारूत।


अग्नि परीक्षा लेे राम जी, पास सिया के पहुॅ॑चे जाय।

करके दर्शन एक दूजे के, खुशियाॅ॑ मन में गई समाय।


     


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