मेरे कान्हा..!
मेरे कान्हा..!
बोलो कान्हा..!
क्या बनकर पुकारूँ तुम्हें
जो तुम दौड़े चले आओ..?
राधा सी प्रीत हो या मीरा सी नेह धरूँ
पार्थ बन किंकर्तव्यमूढ़ हो पुकारूँ तुम्हें
या कि...
सुदामा बन गरीबी से बेफिक्र हो
कृष्ण कृष्ण बस जपु तुम्हें...!
बताओ श्याम..!
किस विधि बुलाऊँ तुम्हें..?
ना मैं राधा ना ही मीरा हूँ मैं
ना गोप ग्वालिन ना पृथा हूँ मैं
बोलो मनमोहना कैसे आओगे..?
कहो तो यमुना नीर बन तुम्हें निहारूँ
वो कदम की डार बन तेरा बाट जोहूँ
तेरे अधर की वंशी बनूँ या कि
मुकुट की बनूँ मोर पंख ...!
बोलो श्याम...!