मेरे जज्बात
मेरे जज्बात
जीवन में जो अनमोल बातों को गूढ़ लेते
किसी की हँसी के पीछे का दर्द ढूँढ लेते
पानी में तैरते आँसू को जो परख लेते.
वही होते इस ज़मीं के सच्चे जासूस फरिश्ते
इस भरी भीड़ में मेरी शख्सियत तोल लेना..
उम्र सैयाद गुज़र जाएगी तेरे लिए फूल बोते बोते
दाग-ए- पेशानी बयां करेगी मेरी
रौनक- ए-गलियों के गुलिस्तां में
कदम जाएंगे तेरे जब हौले से होते होते
कभी तो बँधी गाँठ रिश्तों की मुस्कुरा कर खोलो
दरख़्त दर-ओ- दीवार भी होते हैं जासूस
कोई सुन ना ले ज़रा आहिस्ता बोलो
शक-ए- निगाहों से तेरी मैं फ़कत बचता रहा
नज़रों से नज़र मिला ना सका.
मुखबिर बन वक्त दर वक्त
बेमुरव्वत सा तू जासूसी जो करता रहा
मेरी ख़िलाफत में लाख हवा दे तू ज़माने को
डाल- डाल पात- पात की शय पर
तेरी हर चाल पर मैं कामयाबी के पत्थर फेंकता रहा।
