मेरा किरदार
मेरा किरदार
चंद नज़्में पढ़ी जो मेरी गज़ल के,
मेरे किरदार तक पहुँच जाओगे,
आयत और चौपाई के बीच की
उस दीवार तक पहुँच जाओगे,
तामीरें तोड़ कर जिस्मों के,
रूह के प्यार तक पहुंच जाओगे,
शिकन झेलेगा जो ये काफ़िर बदन,
गुनहगार मन तक पहुँच जाओगे,
अशआर जो उतरे दिलों तक,
जज़्बात के कगार तक पहुंच जाओगे !