मग़र याद रखना मैं आब हूँ बेरंग सा, और रूह बदरूह है तुम्हारी। मग़र याद रखना मैं आब हूँ बेरंग सा, और रूह बदरूह है तुम्हारी।
हमारे माथे की बिंदी है हमारी हिन्दी हमारे माथे की बिंदी है हमारी हिन्दी
गम ही तो है साथी जो हर मौसम में साथ निभाता है गम ही तो है साथी जो हर मौसम में साथ निभाता है
कुछ लोग बाक़ी हैं जो उर्दू बोल सकते हैं कुछ लोग बाक़ी हैं जो उर्दू बोल सकते हैं
हम ताउम्र राह-ए-जवाब-ए-फ़रियाद, देखा किए...! हम ताउम्र राह-ए-जवाब-ए-फ़रियाद, देखा किए...!
मशहूर है सनम तेरा सितम, बस्ती-ए-चाहत में, पर तेरा ये सितम, कि सितम भी, मुझपर कहाँ हुआ...! मशहूर है सनम तेरा सितम, बस्ती-ए-चाहत में, पर तेरा ये सितम, कि सितम भी, मुझपर कहा...