मेरा हृदय है प्रफुल्लित
मेरा हृदय है प्रफुल्लित
मेरा हृदय है प्रफुल्लित और प्रसन्न।
जब से लागी तुमसे मन की लगन।
गर्मी, सर्दी, बरखा हो या हो सावन।
जाती नहीं है मन से प्रेम की अगन।
अब तो मेरा मन, देखता तुम्हारे स्वप्न।
तुम्हारे विचारों में सदैव रहता है मगन।
ठहर गई हो यहीं, बता तो दो कारण।
घर नहीं है तुम्हारा, यह तो है मेरा मन।
मैं करता रात दिन कितने भी जतन।
केवल तुम ही रहती हो मेरे अंतर्मन।