ख्वाब
ख्वाब
ख़्वाबों की तितली को फिर से उड़ने दो,
ख्वाहिशों की बंद खिड़की फिर से खुलने दो,
कुछ सपनें टूट कर बिखर गए तो क्या,
नए सपनें इन आँखों में फिर से सजने दो,
सूनी है तुम्हारी आँखें सपनों के बिन !
खुशियों के मोती फिर से बिखरने दो,
आँखों में कैद ग़म के,
दरिये को खुल कर बहने दो,
इन पलकों में सिर्फ नए,
अरमानों की जगह रहने दो,
सूनी है तुम्हारी आँखें सपनों के बिन !
मुस्कराहट को अपने लबों पर फिर से सजने दो,
बंद किताबों में रखे फूलों को फिर से महकने दो,
एक कांटे की चुभन ने जो ज़ख्म दिया,
उस जख्म पर ओस की बूँद का मरहम लगने दो,
नए सपनें इन आँखों में फिर से सजने दो,
सूनी है तुम्हारी आँखें सपनों के बिन !
सूरज ने जो तपिश दी है आज,
तो कल आसमां से बादल,
बरसकर बुझाएगा तुम्हारी प्यास,
इस आस की लौ दिल में जगते रहने दो,
जलते हुए सूरज के पीछे,
एक बादल को मुस्काने दो,
नए सपनें इन आँखों में फिर से सजने दो,
सूनी है तुम्हारी आँखें सपनों के बिन !
एक अरमां पूरा न हुआ तो क्या,
नए अरमानो को सांस लेने दो,
एक चाहत पूरी नहीं हुई तो क्या,
नयी हसरतों को दिल में जगने दो,
नए सपनें इन आँखों में फिर से सजने दो,
सूनी है तुम्हारी आँखें सपनों के बिन !
ज़िन्दगी को जी भर के ज़िन्दगी जीने तो दो,
साँसों की खामोशियों में छिपी,
दास्ताँ इसे लिखने तो दो,
कुछ गीत गुमसुम होकर गुम हो गए तो क्या,
नए सरगम पर नए गीत बजने तो दो,
नए सपनें इन आँखों में फिर से सजने दो,
सूनी है तुम्हारी आँखें सपनों के बिन !
एक राह चलते चलते खो गयी तो क्या,
नए मोड़ पर इन कदमों को मुड़ने तो दो,
फूल की ओर हाथ बढ़ाते-बढ़ाते,
एक काँटा चुभ गया तो क्या,
नयी बहारें इस गुलशन में फिर से खिलने तो दो,
नए सपनें इन आँखों में फिर से सजने दो,
सूनी है तुम्हारी आँखें सपनों के बिन !