मेरा दिल मेरी आवाज़ सुन रहा है
मेरा दिल मेरी आवाज़ सुन रहा है
बरसों से कुछ दबा है मेरे अंदर
शायद मेरे दिल की आवाज है
छिपता फ़िर रहा था मैं जिससे
वही कल मेरा आज है
मेरा हौसला अब एक साज़ बुन रहा है
मेरा दिल मेरी आवाज़ सुन रहा है ।
न जाने कब से बंधा था मैं यहां
आज उड़ने को बेताब सा हूं
खोल दो तो पूरा आसमान ढक लूं
और ढकने को हिज़ाब सा हूं
मेरा मन मुझे ही मेरा ताज़ चुन रहा है
मेरा दिल मेरी आवाज़ सुन रहा है ।
उड़ूं ऐसे पतंगों सा चला जाऊं
उलझाने को न अब कोई डोर आये
भटकूँ न अभी अब और मैं
न कानो में उलझनों का कोई शोर आये
मेरा आज कल का राज़ धुन रहा है
मेरा दिल मेरी आवाज़ सुन रहा है ।