चलना सीख जाऊंगा
चलना सीख जाऊंगा
भले लंबी हो ये डगर
मैं हारूँगा नहीं मगर,
भले मद्धम हवाओं से
या फिर काली घटाओं से,
मैं गिरकर भी संभालना सीख जाऊंगा
मैं चलना सीख जाऊंगा।
हवाओं की गति हो तेज़
कांटों से भरी हो सेज़,
चाहें धूप का हो छांव
या फिर हार जाऊं दांव,
हर मौसम बदलना सीख जाऊंगा
मैं चलना सीख जाऊंगा।
कोई सपना बिख़र जाए
या कोई सामने आए,
कभी कोई कहानी हो
कहीं फ़िर बहता पानी हो,
मैं बनकर बर्फ़ पिघलना सीख जाऊंगा
मैं चलना सीख जाऊंगा।
भले पथ पर अकेला मैं
सफ़र आरंभ होगा तय,
कहीं पर मंज़िलें मिलें
रज में पुष्प भी खिलें,
रहा उलझा सुलझना सीख जाऊंगा
मैं चलना सीख जाऊंगा।