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Surekha Awasthi

Romance

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Surekha Awasthi

Romance

मेरा अधूरा प्रेम

मेरा अधूरा प्रेम

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इश्क कितना भी गहरा हो मेरा 

पर वजूद सिर्फ सिंदूर का है 

कसमें और रस्मे कितना भी निभा लूं 

पर वजूद सिर्फ सात फेरों का है 

तम्हे एक पल भी भूल के जीना सीखा नहीं मैंने 

तुमसे हटकर एक कदम चला नहीं मैंने  

पर वजूद तो साथ रहने का है 

मै तुम्हारी राधा सिर्फ तुम्हारी ही नारी हूँ 

तुमपे अपना तन मन जीवन सब वारी भी हूँ 

पर वजूद तो सिर्फ सीता का है 

प्रेम अमर है मेरा 

राधा कृष्ण कहलाते हैँ हम 

पर वजूद तो एक होने का है! 



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