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Surekha Awasthi

Romance

3  

Surekha Awasthi

Romance

अधूरा प्रेम

अधूरा प्रेम

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इश्क कितना भी गहरा हो मेरा 

पर वजूद सिर्फ सिंदूर का है 

कसमें और रस्में कितना भी निभा लूँ

पर वजूद सिर्फ सात फेरों का है 

तुम्हें एक पल भी भूल के जीना सीखा नहीं मैंने 

तुमसे हटकर एक कदम चला नहीं मैंने  

पर वजूद तो साथ रहने का है 

मैं तुम्हारी राधा सिर्फ तुम्हारी ही नारी हूँ 

तुम पे अपना तन मन जीवन सब वारी भी हूँ 

पर वजूद तो सिर्फ सीता का है 

प्रेम अमर है मेरा 

राधा कृष्ण कहलाते हैं हम 

पर वजूद तो एक होने का है 



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