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Surekha Awasthi

Inspirational

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Surekha Awasthi

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गुरु दक्षिणा

गुरु दक्षिणा

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गुरु दक्षिणा सा जीवन मेरा

हर पल गुरु के ऋण से ऋणी हूँ मैं 

सभी गुरुओं को प्रणाम मेरा

हर पग जिनकी अनुकरणीय हूं मैं

प्रथम पाठशाला की गुरु, माता को

सादर शीश झुकाती हूं मैं


द्वितीय अपने पूज्य पिता को

सौ बार माथ नवाति हूँ मैं

 तृतीय वंदन शैक्षिक गुरु को

विश्वकर्मा सा, जीवन सफल बनाते हो आप

मुझे शिक्षित करने के लिए,

कड़ी मेहनत प्रयत्नशील 

संचित ज्ञान लूटाते हो 


प्रकाशपुंज आधार बनकर,

कर्तव्य अपना निभाते

ज्ञान ज्योति, प्रेम सागर,

पथ प्रदर्शक बन नैया पार लगाते हो

आप

आपके परोपकार से कृतज्ञ,

सादर शीश झुकाती हूँ


आदरभाव से संचित,

श्रद्धा पुष्प चढ़ाती हूँ मैं

एक प्रणाम मित्र परिजन को,

जो लोकनियम सिखाते हैं

हर मसले और परेशानी में,

अपनी राय बताते हैं


पुनः प्रणाम सभी शत्रुओं को जिन्होंने

आलोचनाओं से पाठ पढ़ाया है

जीवन की हर भूल पर,

कसकर बाण चलाया है


अंतिम प्रणाम स्वयं की आत्मा को

मैंने हर विफलता को अपनाया है

जीवन में ठोकरों के बाद उठकर

 पुनः चलने का साहस दिखाया है 

 पुनः चलने का साहस दिखाया है।  


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