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Surekha Awasthi

Drama

4  

Surekha Awasthi

Drama

नवरात्री

नवरात्री

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जिस दिन हर घर में औरत की 

पूजा करने की हिम्मत जुटा पाओगे तुम 

नवरात्री उस दिन मनाना मेरी कृपा उस दिन पाओगे तुम 


अगर बेटी लाचार लगती है, अगर बहन बोझ हो गयी है 

तो नवरात्री में किसके स्वरूप को ध्याओगे तुम 

अगर मेरा आना इतना खलता है 

की गर्भ में मारना चाहते हो तुम 


तो भला किस तरह इस दुनिया मे

मुझे लाओगे तुम 

अगर मेरे जन्म लेने पर अपना दिल दुखाओगे तुम 

गर्भ में हूँ जान कर पुरे परिवार सहित आंसू बहाओगे तुम 


तो भला नवकन्या के रूप में 

मुझे कैसे अपने घर बुलाओगे तुम  

वेद का जन्म माता गायत्री से लेकर 

मानव जीवन की जन्म दात्री मुझे पाओगे तुम 


मुझ जननी को उत्पीड़न देकर कितना सताओगे तुम 

माँ बहन पत्नी बेटी मुझे हर रूप में अपने पास पाओगे तुम 

जैमातादी कहते हुए सिर्फ नव दिन बिताओगे तुम 

दसवें दिन जो मिली अकेली फिर 

मेरे सम्मान की धज्जियाँ उड़ाओगे तुम 


जिस दिन हर घर में औरत की 

पूजा करने की हिम्मत जुटा पाओगे तुम 

नवरात्री उस दिन म

नाना मेरी कृपा उस दिन पाओगे तुम 

मेरा शरीर देख पाते हो मेरे मन को ना जान पाओगे तुम 

मेरा कर्तव्य दीखता है मेरा अधिकार ना दिला पाओगे तुम 


हर जगह मै हूँ पर मुझे कहीं ना होने का 

अहसास दिलाओगे तुम 

 जिंदगी मुझ बिन बेरंग लापरवाह भावहीन पाओगे तुम 

अरे ऐसे जीवन संगिनी को आखिर कब तक रुलाओगे तुम 


क्या मैं इंसान नहीं हूँ क्या बेजान हूँ मैं

मुझे मेरे हर रूप में सम्मान से कब अपनाओगे तुम 

मुझे नहीं चाहिए झूठी पूजा अगर दिल मे 

किसी बहन की इज्जत कर ना पाओगे तुम 

मै मेरी ममता मेरी भावनाएं अनमोल है


जिसका मोल इस जीवन में ना चूका पाओगे तुम 

जब तक सडक पर खड़ी

 हर महिला की बोली लगाओगे तुम 

मेरे मालिक बन कर कब तक मुझपर कहर ढ़ाओगे तुम 

कभी पिता कभी पति कभी भाई बन कर


कब तक हुक्म चलाओगे तुम 

मुझे प्यार स्नेह और सम्मान की जरुरत है 

आखिर ये बात कब समझ पाओगे तुम 

जिस दिन हर घर की औरत की 

पूजा करने की हिम्मत जुटा पाओगे तुम 

नवरात्री उस दिन मनाना मेरी कृपा उस दिन पाओगे तुम।


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