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PRATAP CHAUHAN

Classics

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PRATAP CHAUHAN

Classics

मदहोश हुआ तन्मय

मदहोश हुआ तन्मय

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आमोद प्रमोद का पता नहीं,

मैं मचल गया गम पी करके।

हर लम्हा मेरा गुजर गया,

इस तन्हाई में बहकर के।।


 मदहोश हुआ तन्मय ऐसा,

 खुद बिखर गया विष पीकर के।

हां वक्त तकाजा देता है,

संतुष्ट नहीं कोई जीकर के।।


 कर रेखा विचलित होती है,

 जब किस्मत की कश्ती अड़े ।

अनमन अपना मन लगता है,

तकदीर से जब इंसान लड़े।।


हम नहीं समझ पाते हैं

वक़्त की इस चाल को।

अफसोस ही करते हैं , 

सोच के हर हाल को।।


हम जज्बा रखते हैं,

इरादा  रखते हैं।

हम जीत के हर दांव में,

बिंदास  रहते हैं।।


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