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Mani Loke

Classics Inspirational

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Mani Loke

Classics Inspirational

आज़ादी

आज़ादी

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 उड़ जा पंछी उन्मुक्त गगन के,

 पिंजर बंद ना तू रह पाएगा।

 तेरा जीवन मुक्त गगन का,

कैद पिंजरे में तू न रह पाएगा।


 मुक्त गगन में पंख पसारे, 

धरती अंबर छूता जाए।

 वृक्ष-वृक्ष पर,डाली -डाली पर,

चहकता फुदकता तू फिरता जाए,

 हैं ऊंच -नीच ना भेदभाव के,

ना तुझ में कोई अंतर।


 धर्म जाति ना देश प्रांति का,

 ना तुझको कोई बंधन।

उड़ता जा तू फिरता जा,

 देश प्रांत में चहकता जा,

 विश्व शांति और राष्ट्र अमन का,

संदेशा तू सुनाता जा।


 कैद न तुझको रख पाएगा, 

पिंजरा भी एक दिन खुल जाएगा,

 उड़ जाना तब तुम मुक्त गगन में,

खुली चमन में अंबर छूने।

मुक्त हो अपने मुक्त गगन में।।


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