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Neena Ghai

Tragedy

5.0  

Neena Ghai

Tragedy

मौसम शीरीं था

मौसम शीरीं था

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मौसम शीरीं था

हम मशगूल थे

अपनी हाफ़िज़ा के साथ,


न जाने क्यों,

यह भी गँवारा न हुआ

हमारे चाहने वालों के साथ।


किसी से क्या करें शिकवा

कुछ अपने ही सितारे गर्दिश

में थे और कुछ उनकी मेहरबानियों

की थी नवाज़िश।


न जाने क्यों,

यह भी गँवारा न हुआ

हमारे चाहने वालों के साथ।


कभी चाहत थी बैठ उनके पहलू में

मुस्कराते रहे हम

आज आलम यह है

उनकी याद में खोये हुये बेवजह

मुस्करा देतें हैं हम।


पर न जाने क्यों,

यह भी न गँवारा न हुआ

हमारे चाहने वालों के साथ।।


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