S Ram Verma

Romance

2  

S Ram Verma

Romance

मैंने तो सिर्फ प्रेम किया

मैंने तो सिर्फ प्रेम किया

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प्रेम तो किया था मैंने तुमसे 

अपनी आँख और दिमाग 

दोनों बंद करके,

जबकि कई बार मेरी 

इंद्रियां सक्रिय होकर  

जताती रही विरोध।


तभी तो करता रहा मैं  

नज़र अंदाज़ विरोध 

अपनी ही इन्द्रियों का,

क्योंकि मैंने तो पढ़ा था 

प्रेम में कभी तार्किक नहीं 

हुआ जाता।


और मैं कभी हुआ भी नहीं 

परन्तु तुमने तो कभी कोई 

बात मेरी मानी ही नहीं,

जब-तक की तुमने उस बात

को आज़माया नहीं क्योंकि

तार्किक हो तुम।


पर क्या तुमने कभी पढ़ा नहीं

या सुना भी नहीं की प्रेम में कभी

किसी तरह के तर्क की कोई जगह 

नहीं होती।


इसलिए मैंने अपने हिस्से का 

प्रेम किया और तुमने अपने 

हिस्से का तर्क। 

प्रेम तो किया था मैंने तुमसे 

अपनी आँख और दिमाग 

दोनों बंद कर के !


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