मैं
मैं
साधारन नहीं कुछ खास हू मैं,
कोई मोम का पुतला नहीं,
एक फौलाद हूं मैं।
आंखो में आंसुओ को नहीं,
सपनों को सजाएं रखता हूं।
दिल में आग होती है मेरे,
जिसकी झलक, आंखो में
बसाए रखता हूं।
ज़िंदगी में जो हों मगर मेरे,
अपने हौसलों को बनाए रखता हूं।
ज़मीं से आसमानों की,
सिर्फ ख्वाहिश नहीं करता,
उन्हें पाने के लिए हर कदम
पूरे आत्मविश्वास के साथ रखता हूं,
मेरी ख्वाहिशे बस इक सोच नहीं होती,
उनमें हौसलों की उड़ान भी होती हैं।
चाहते सिर्फ आसमान को छूने की नहीं होती,
वो तो आसमानों को भी पार कर जाती हैं।
ये ज़िंदगी सिर्फ सपनों या ख्वाहिशों से नहीं चलती,
ये ज़िंदगी सिर्फ सपनों या ख्वाहिशों से नहीं चलती यारों,
उन्हें सच करने की कोशिश इन्हे मुम्किन बनती हैं।
यहां कदम कदम पर
बदलाव का सामना करना पड़ता हैं,
जो कई बार हमारी ज़िंदगी सवार देते हैं।
यहां वक्त बदलता है,
ज़िंदगी बदलती है,
हताशा और निराशा की रात के बाद,
उम्मीद और सफलता का सूर्योदय होता है।
जिसकी रोशनी से,
हमारी ज़िंदगी जगमगा उठती हैं,
और सपने सच होते हुए नजर आते हैं,
नजर आते हैं, नजर आते हैं.......।