प्रकृति एक दोस्त
प्रकृति एक दोस्त
एक दोस्त है मेरी,
जो हर वक्त मेरे पास रहती है,
कुछ कहती नही मुझसे, मगर,
मेरी हर बात सुनती है।
जब मैं झूले पर झूलू,
धीरे से मुझे झूलाती है,
यू तो सब जानते है उसे,
मगर नजर कहीं ना आती है,
बारिश में वो मुझे बिगो कर,
छम छम कर इठलाती है,
यही तो, है वो दोस्त मेरी,
जो प्रकृति कहलाती है।
यही वो दोस्त है,
जो गर्मी में पेड़ बन जाती है ,
छाव की ठंडक दे कर मुझे,
थपकी देकर सुलाती है।
कुछ ऐसी ही है प्रकृति,
जो प्रति पल मुस्कुराती है,
हरियाली बन खेतों में भागे,
सूरज में ढल जाती है।
रात अंधेरा घनघोर हो,
तो चंदा बन आ जाती है,
खिड़की पर आकर मेरे,
घंटों तक बतियाती है।
सुबह सवेरे चिड़िया बन कर,
फिर उठाने आ जाती है,
चूचू कर मेरे कानो में,
आलाराम बजाती है।
पर्वत, नदिया, गांव, शहर,
सब इसमें ही तो बस्ते हैं,
बिन प्रकृति ये संसार कहा,
कहा ये रंग निराले हैं।
भगवान का वरदान है प्रकृति,
इसमें जीवन बस्ता हैं,
देकर सबको अपना सब कुछ,
फिर से कुछ दे जाती है।
कुछ ऐसी ही है दोस्त मेरी,
जो हर पल साथ निभाती है,
जब टूट जाता हु मैं अंदर से,
फिर हिम्मत जगाती है।
ये प्रकृति है दोस्त मेरी,
जो हर वक्त प्यार जताती है,
हर वक्त प्यार जताती है।
