कुछ यादें
कुछ यादें
आज चमकी थी बिजली,
गरजे थे बादल,
चली थी हवा और बरसे थे बादल।
ढूंढ रहा था मै पुरानी यादों को
कुछ खट्टी सी यादें, कुछ मीठी सी बातों को।
मिली थी कुछ, कुछ बिसर गई थी,
नजाने किस कोने में जाकर छिप गई।
हसीन लगता है वो मंजर,
जिसे हमने कभी मेहसूस किया था।
अब लगता है के फिर्से जिलू उसी वक़्त को,
जहा ना कोई डर था और ना ही कोई फिक्र,
बस था तो एक बचपन और खुशी के कुछ पल।