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S Ram Verma

Romance

3  

S Ram Verma

Romance

मैं फिर भी तुमको चाहूंगा !

मैं फिर भी तुमको चाहूंगा !

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मैं फिर भी तुमको चाहूंगा 

सुख के मौसम 

में राहत भरा 

स्पर्श बनकर,


मैं फिर भी तुमको चाहूंगा 

दुःख के मौसम में 

हँसी का ठहाका

बनकर,


मैं फिर भी तुमको चाहूंगा 

धूप में तेरे 

सर पर छांव

का छाता बनकर


मैं फिर भी तुमको चाहूंगा 

थकान में देह 

का आरामदेह 

बिछौना बनकर,


मैं फिर भी तुमको चाहूंगा 

और विरह की 

वेदना में साथ 

के लिए बुनी 

चादर बनकर,


मैं फिर भी तुमको चाहूंगा 

साथ तुम्हारे 

तुम्हारी ही जैसे

परछाईं बनकर !


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