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Sonam Kewat

Romance Tragedy Fantasy

4  

Sonam Kewat

Romance Tragedy Fantasy

मैं पास आ रही थी

मैं पास आ रही थी

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तुझसे मिलना तो नहीं था मुझे पर 

कायनात का चमत्कार हुआ था 

सोचा था तुझे पाकर रहेंगे क्योंकि 

अपने प्यार पर अहंकार हुआ था 


अहंकार था तो टूटना भी जरूरी था 

तुम्हारे अलावा कुछ दिखता ही नहीं था 

बहुत खो गए थे तुमसे इश्क करने में 

तुम्हारे अलावा कुछ सूझता ही नहीं था 


ख्वाबों में तुम ही थे और ख्यालों का 

सैलाब लाने में भी मेरा ही कुसूर हैं

दिन में तो चलो बहला लेती खुद को 

रातों में सोना तो बहुत ही दूर हैं


बहुत सताया था तुमने पर 

तुमको इस बात की खबर नहीं थी 

सोचते तुम पूछोगे तो जरूर बताऊंगी 

शायद तुम्हें ही मेरी कदर नहीं थी


सब कहते एक तरफा इश्क है 

मैं ये भी समझ नहीं पा रही थी 

तुम मुझसे हटकर दूर जा रहे थे

और मैं उतने ही पास आ रही थी


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