सपने बुनता हूँ, मगर कहीं, पिरोता नहीं सपने बुनता हूँ, मगर कहीं, पिरोता नहीं
बहुत खो गए थे तुमसे इश्क करने में तुम्हारे अलावा कुछ सूझता ही नहीं था बहुत खो गए थे तुमसे इश्क करने में तुम्हारे अलावा कुछ सूझता ही नहीं था