मैं कलाकार हूँ
मैं कलाकार हूँ
मैं तो परछाई हूं
कहां आदत है मेरी
दिखाया था आईना तुमको जरूरत थी
ऐसी दिखाता हूं दृश्य- अंतरंग दृश्य
पर इससे मेरा कोई सरोकार नहीं
हां मैं कलाकार हूं यह मेरे अपने विचार नहीं
कभी रोते हैं मुझको देखकर कभी हंस देते हो
कभी गुस्सा करते हो इतना प्रतिपल मार देते हो
पर कभी मैं हंसता- रोता हर क्षण मरता नहीं
हां मैं कलाकार हूं यह मेरे अपने विचार नहीं उठते हैं
जब भाव आपके मेरी निजी जिंदगी में छलकते हैं
तब आंसू मेरे नेत्रों से पर मैं कुछ कह सकता नहीं
हां मैं कलाकार हूं क्योंकि यह मैं हो सकता नहीं
रोता हूं जब ,हंसाता हूं तुम्हें हंसता हूं तो रुलाता हूं
तुम्हें मैं नाहक कुछ कर सकता नहीं
क्योंकि मैं एक कलाकार हूं शायद मैं एक इंसान नहीं।