मैं ही नोविता हूँ...!
मैं ही नोविता हूँ...!
कभी कभी यूँ लगता है
मैं ही नोविता हूँ
और तुम मेरी डोरेमॉन..!
जाते जाते माँ कह गई थी,
मैं तुझे अकेला कहाँ छोड़ रही हूँ
तेरे लिए एक डोरेमॉन छोड़े जा रही हूँ
तू उसे तलाश लेना और उसका नोविता बन जाना
मैं ख़ुद को तुम्हारे डोरेमॉन में ही रख दूँगी....!
और माँ देखो...!
मैंने तलाश लिया तुमको आज..!
सचमुच वो नोविता ही है,
जो ख़ुश रहता है
अपने डोरेमॉन के साथ,
जो नोविता को काल्पनिक दुनिया में ले जाता है,
जिसके साथ वो हँसता है, . /
बोलता है .../
और अपने अनुभव बाँट लेता है,..
नोविता उससे दूर होकर रोता है
और भूखा प्यासा भी रहता है
एक ऐसी डोरेमॉन जो उसको सुनहले
सपने के सिवा कुछ नहीं देती
और वो ..उसमे भी ख़ुश हो लेता है..!
ओह..!
सपने भी कैसे...?
जादुई एवं हक़ीक़त से लगने वाले
रंगीन सपने...
जो कभी हक़ीक़त में सच नहीं हो सकता..!
सचमुच...!
वो नोविता ही है.
जो अपने डोरेमॉन के साथ ख़ुश रहता है
और ...
डोरेमॉन उसके साथ में..!