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मैं भी

मैं भी

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तेरे दर्द को थोड़ा थोड़ा पी रही हूँ मैं भी।

साथ थोड़ा थोड़ा जीती मर रही हूँ मैं भी।


तू ना जान पाया पहले भी,अब भी शायद,

साथ सुख दुःख में हमेशा बह रही हूँ मैं भी।


जीवन तेरे नाम किया था जो पहले कभी,

साथ जीवन के पार नाम कर रही हूँ मैं भी।


जलते जज़्बात दिखते तो नही ये जानूँ मैं

बारहां फिर भी रह रोज सुलग रही हूँ मैं भी।


बीते पल को लौटा के ना लाए पाए कोई,

साथ अफसोस लम्हों का बुन रही हूँ मैं भी।


चल भूल जाए बीता वक्त, प्यार की बात करे ,

काँटो के जालों में उगे फूल चुन रही हूँ मैं भी।


तेरा गर साथ, दिन है क्या और रात है क्या,

देख कदम दर कदम साथ चल रही हूँ मैं भी।


मोहब्बत की इन्तहां, दिलो की बेताबियाँ,

'इन्दु' जहर कड़वा धीमे धीमे ले रही हूँ मैं भी।



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