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Nalini Mishra dwivedi

Drama

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Nalini Mishra dwivedi

Drama

मायका कैसे भूल जाऊँ

मायका कैसे भूल जाऊँ

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मैं मायका कैसे भूल जाऊँँ

जहाँँ बीता है बचपन

जहाँ रहती है सखिया

जहाँ कभी हसते रहते

तो कभी रोते रहते थे

उन यादों को कैसे भूूल जाऊँ

मैं मायका कैसे भूल जाऊँ।


जब से गई ससुराल

तब से बदल गया नाम

जो कभी घर होता था

अब कहलाता मायका

उस घर को कैसे भूल जाऊँ।


काश कभी ऐसा होता

ससुराल ना जाना पड़ता

तब घर भी घर ही होता

नाम उसका मायका ना पड़ता

तब कोई ना कहता तुम

मायका भूल जाओ।


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