जिंदगी की परिभाषा
जिंदगी की परिभाषा
जिंदगी की यही परिभाषा है
कही आशा कही निराशा है।
कही दुख की बदरी है तो
कही खुशियों के मेले हैं।
कही सूरज की तपन
तो कही चादनी रात है।
किसी की आंखों में चमक
तो कहींं उमड़ता सैलाब है।
जिंदगी की यही परिभाषा है
कही आशा कही निराशा है।
कही दुख की बदरी है तो
कही खुशियों के मेले हैं।
कही सूरज की तपन
तो कही चादनी रात है।
किसी की आंखों में चमक
तो कहींं उमड़ता सैलाब है।