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Ramchander Swami

Crime

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Ramchander Swami

Crime

मानव रूपी भेड़िया

मानव रूपी भेड़िया

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लोक लाज भूलकर हवस में अंधा हो गया।

मर गई मानवता अब ये धंधा हो गया।

जन्म देने वाली मां भी ए सोच कर रोती है,

मेरा कोख कैसे इतना गंदा हो गया।


तुझे भी किसी मां ने जन्म दिया था,

किसी बहन ने कलाई पर राखी बांधी थी।

नौ महीने कोख में रखने वाली भी एक औरत थी।

बचपन में स्तनपान किया वो भी एक नारी की छाती थी।


लूटते हुए किसी बहू बेटी की अस्मत,

इंसान से कैसे तू भेड़िया बन जाता है।

तू भी तो पिता बेटा भाई पति है किसी का,

फिर क्यों उस वक्त तेरा जमीर मर जाता है।


न जाने कब तक ए खेल होता रहेगा।

गूंगी बहरी सरकार कानून सोता रहेगा।

चौक चौराहों में भी लुट जाती है नारी।

भ्रूण हत्या कोख में मार दी जाती है बेचारी।


उठो नारी तुम्हें साहस वीरता दिखाना होगा।

डरना नहीं इन भेड़ियों को मार भगाना होगा।

स्वामी करता है आह्वान उस नारी शक्ति को,

दुर्गा रणचंडी बन फिर शस्त्र उठाना होगा।।


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