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DrGoutam Bhattacharyya

Abstract Inspirational

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DrGoutam Bhattacharyya

Abstract Inspirational

मानव-कृत हुक्मनामा

मानव-कृत हुक्मनामा

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मनुष्य के जीवन में 'बंधन' थोपने की कोशिश की गई।

किसी मानव-कृत हुक्मनामा के नाम पर। 

फेहरिस्त तो बना लिया था, 

क्या विधाता की अनुमति लिया था ?


किसी भी जीव, कोई भी नियम,

सख्ती से पालन करने के लिए बाध्य नहीं है

मगर, मनुष्य को बाध्य किया जाता है

किसी मानव-कृत हुक्मनामा के नाम पर।

आज्ञापत्र तो बना लिया था, 

क्या ईश्वर की अनुमति लिया था ?


सर्वशक्तिमान सर्वव्यापी है,

इस परम-तथ्य के बावजूद 'बाड़े' क्यों बनाते हैं?

कैसे मान लिया ईश्वर उन्हीं बाड़ों के भीतर ही रहेंगे

प्रत्युत, मनुष्य को यकीन दिलाया जाता है

मनुष्य को बाध्य किया जाता है

किसी मानव-कृत हुक्मनामा के नाम पर।

आरोपपत्र तो बना लिया था, 

क्या स्रष्टा की अनुमति लिया था ?


सिर्फ एक ही किताब को हाथ में लेकर,

एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप में ले जाकर,

दुनिया भर के मानवजाति को एक पंक्ति में करने के लिए,

कोशिशें करते रहे है, जो अभी भी जारी हैं

लेकिन उद्देश्य क्या है ?

क्या ईश्वर की अनुमति लिया था ?

क्या यह ईश्वर को मंजूर है?

सिर्फ और सिर्फ

किसी मानव-कृत हुक्मनामा के नाम पर...


चाहे अपने या पराए की जान भी चली जाए, 

चाहे मातृसमा जन्मभूमि के अंग भी कट जाए, 

चाहे अद्भुत विश्व विरासत को विनष्ट कर दिया जाए, 

कोई फर्क नहीं पड़ता है

सिर्फ और सिर्फ

किसी मानव-कृत हुक्मनामा के नाम पर...

फेहरिस्त तो बना लिया था, 

क्या विधाता की अनुमति लिया था ?

                       ******


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