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Nand Kumar

Abstract

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Nand Kumar

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हम भारत के लोग

हम भारत के लोग

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हम भारत के लोग हमारी

 सबसे ही है यारी।

नहीं किसी से बैर हमारा

 खुद्दारी हमको प्यारी।


अपनी भाषा देश संस्कृति  

संविधान पर नाज है।

दक्षिण सिन्धु पखारे पग

उत्तर हिम गिरि ही ताज है।।


भाषा रंग जाति अगणित  

है धर्म भी यहां बहुत से।

खान पान त्योहार भिन्न पर

सब अभिन्न तन मन से।


ज्ञानी वीर धीर त्यागी जन

भारत मान बढ़ाया ।

हंसते हंसते मिटे स्वयं पर

खुद को नहीं लजाया।।


ज्ञान का बन भण्डार धरा पर  

विश्वगुरू कहलाया।

गर्वित है हम हिंद के वासी

मान जगत में पाया।


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