इंसानियत नहीं सीखी
इंसानियत नहीं सीखी
कहते हैं
जब तक उम्र होती है
तब तक सीखता है इंसान,
जहां से मिले
जैसा मिले
वहां से सीखता है इंसान,
कभी किताबी बातों से
कभी खुद से,
कभी दूसरों के गुजरे अनुभवों से,
कभी आस पास
बिखरी यादों से,
कभी गिरकर
कभी दूसरों को गिराकर,
कभी किसी की
उम्मीदों को तोड़ कर
कभी किसी
अपने के मन को रौंद कर,
कभी खुद का
सुध बुध खोकर
कभी चैन अपना छीनकर
किसी की यादों को
रुला कर,
बस सीखने
और जीतने का जुनून
उसके जहन में
इस कदर हावी होता है,
और इसी
भागम भाग में
वो भूल जाता है सीखना,
जो सबसे जरूरी है
इस जीवन के लिए
" इंसानियत".....!