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Sudhir Srivastava

Abstract

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Sudhir Srivastava

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विश्वगुरू

विश्वगुरू

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कितना अजीब लगता है

यह देखना सुनना

कि हम बड़े अजीब हैं

दुनियां को पता है कि

आखिर हम क्या चीज हैं।


पर हम खुद नहीं जानते

कि हम क्या चीज हैं।

हम तो बस विडंबनाओं में ही

जीने के आदी हैं,


अपना दिमाग भर चलाते हैं

बस उसे धरातल पर लाने से

जरा कतराते हैं।

पर हम भी क्या करें

आदत से मजबूर जो हैं,


आखिर अपना भारत

जुगाड़ का विश्वगुरू जो है।


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