DrGoutam Bhattacharyya

Abstract Inspirational Others

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DrGoutam Bhattacharyya

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हिंदी, विश्व स्तर की भाषा

हिंदी, विश्व स्तर की भाषा

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यह है भारत की उत्तर में बोली जाने वाली इंडो-आर्यन भाषा, 

यह प्रमुख भाषा है विश्व की, है भारत की एक राजभाषा ।


हिन्दुस्तानी भाषा की यह एक मानकीकृत रूप है, 

भारत की सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा है।


इस में अधिक है संस्कृत के तत्सम तथा तद्भव शब्दों का प्रयोग , 

हिन्दी भाषा में श्रीमान् कम हैं अरबी–फारसी शब्दों का प्रयोग । 


'एथनोलॉग' के अनुसार यह विश्व की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है।

 विश्व आर्थिक मंच के अनुसार यह विश्व की दस शक्तिशाली भाषाओं में से एक है।


हिन्दी भारत में सम्पर्क भाषा का कार्य बखूबी करती है , 

पूरे भारत को एक सरल रूप में भली-भाँति जोड़ती है ।


स्वतंत्रता के बाद, जिस भी प्रांत ने, इसे स्वीकार नहीं किया,

अन्यत्र आजीविका की तलाश कर रहे युवाओं ने नुकसान उठाया।


हिन्दी और इसकी बोलियाँ सम्पूर्ण भारत के विविध राज्यों में बोली जाती हैं। 

भारत और अन्य देशों में भी लोग हिन्दी बोलते, पढ़ते और लिखते हैं।  


इन देशों में, फ़िजी, मॉरिशस, गयाना, सूरीनाम, नेपाल और संयुक्त अरब अमीरात, 

 हिन्दी या इसकी मान्य बोलियों का उपयोग करने वाले लोगों की बहुतायत। 


 हिन्दी भाषा के अन्य नाम हैं विभिन्न, 'रेखता', 'आर्यभाषा', 'दक्खिनी',  

देशी', 'हिन्दवी', 'भाखा', 'देशना वचन' 'भारती', 'खड़ी बोली', 'हिन्दुस्तानी'


हिन्दी शब्द का सम्बन्ध संस्कृत शब्द 'सिन्धु' से माना जाता है।

यूनानी शब्द ‘इण्डिका’ या अंग्रेजी ‘इण्डिया’ आदि, ‘हिन्दीक’ के ही दूसरे रूप हैं। 


अपभ्रंश की आखिरी, 'अवहट्ठ' से हिन्‍दी, शिक्षाविदों ने बताया,  

चन्द्रधर शर्मा 'गुलेरी' ने इसी अवहट्ट को 'पुरानी हिन्दी' नाम दिया।


सुनो हमारे पड़ोसी, 'उर्दू' भाषा भी खड़ीबोली पर ही आधारित है, 

देवनागरी लिपि के बजाय नस्तालिक लिपि में लिखा जाता है।


हिन्दी और उर्दू में व्याकरणिक रूप से कोई अन्तर नहीं है, 

असल में, दोनों खड़ीबोली की ही दो आधिकारिक शैलियाँ हैं।


हिन्दी का क्षेत्र विशाल, बोलियों या उपभाषाएँ अनेक है , 

जिसमें अत्यन्त उच्च श्रेणी के साहित्य की रचना भी हुई है। 


चीनी भाषा के बोलने-वालों की संख्या हिन्दी से अधिक है, 

किन्तु चीनी भाषा का प्रयोग-क्षेत्र हिन्दी अपेक्षा सीमित है। 


अंग्रेजी भाषा का प्रयोग-क्षेत्र है हिन्दी की अपेक्षा अधिक, 

किन्तु हिन्दी मातृभाषियों की संख्या है अंग्रेजी भाषियों से अधिक।


विश्वभाषा बनने के सभी गुण हिन्दी में विद्यमान हैं।

भारत की भाषा हिन्दी, विश्वभाषा बनने का हक़दार  हैं।

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