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Vijay Kumar parashar "साखी"

Classics

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Classics

मां

मां

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माँ ही मंदिर है,

मां ही मस्ज़िद है

करता जो सज़दा 

हर दिन है


उसके लिए हरदिन

जन्नत है

कह रहा ये साखी

मां ही है तेरी,

हर खुशी की बाती

जो समझते हैं,


मां को ख़ुदा की जाति है

उसके पास,दुःख की 

रात कभी नही आती है

जो करता है,


मां की इज्ज़त है

उसे ख़ुदा देता,

सदा जन्नत है

मां को मना ले


ढेरों आशीष पा ले

हर बला टल जायेगी

मां के चरणों मे

ख़ुद को लोटा दे।


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