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Simmi Bubna

Abstract

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Simmi Bubna

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माँ

माँ

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उसकी ओर देखा तो दिल में

एक अजीब सी हलचल हो उठी

दिल ने अचानक से पुकारा क्या ये वही चेहरा

क्या ये वही चेहरा है?


जो हज़ारों ज़ख्म सह कर भी,

फ़िर वही उसी राह पर खड़ी है,

उसी राह पर खड़ी।


न जाने मंजिल का ठिकाना न जाने,

किस्मत का ठिकाना, उसी राह पर खड़ी है,

उसी राह पर खड़ी है।


ये वही माँ है, ये वही माँ है,

हज़ारों ज़ख्म सहती पर

उफ़्फ़ न किया करती है,

न जाने कौन से फरिश्ते ने भेजा है।

मिट्टी की इमारत है या पत्थर की मूरत,

समझ न पाया कोई, न कोई समझ पाएगा,

ये वही चेहरा है, ये वही चेहरा है।



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