माँ तुम बहुत याद आती हो
माँ तुम बहुत याद आती हो
माँ तुम बहुत याद आती हो
मायके की चौखट पर जब इंतजार करते
तुमको नहीं पाती हूँ।
माँ तुम बहुत याद आती हो
जिस दिन थककर सुबह देर तक मैं सो जाती हूँ,
फिर भी अपने माथे पर स्पर्श
आपके ठंडे हाथों का नहीं पाती हूँ।
माँ तुम बहुत याद आती हो
जब किसी दिन खाना मैं देर तक नहीं खा पाती हूँ,
भूख तो बहुत लगती है पर, जिम्मेदारियां निभाती हूँ।
तब माँ तुम बहुत याद आती हो
जब मेरे बच्चे मुझपर थोड़ा सा भी ध्यान नहीं देते,
सुन कर मेरी बातें उन्हे अनसुना कर देते है।
डाँट दूँ जो इसबात पर उन्हे तो,
काँधे पर झूल "प्यार बहुत करता हूँ मैं माँ"
ये बोल देते हैं।
तब माँ तुम बहुत याद आती हो
जब भी मेरा दर्द कोई समझ नहीं पाता,
मैं दिखाना चाहती हूँ दिल के जख्म,
पर दिखा नहीं पाती हूँ।
तब आपके अनकहे दर्द भी मैं महसूस कर पाती हूँ।
तब माँ तुम बहुत याद आती हो
जी करता है छुप जाऊँ आपके आँचल में,
भूल जाऊँ दुनिया के सारे गम।
कुछ सुनूँ आपकी, कुछ अपनी भी सुनाऊँ मैं।
पर दूर तलक जब छाँव तेरे,
आँचल की नहीं पाती हूँ।
माँ तुम बहुत याद आती हो