माँ सरस्वती
माँ सरस्वती
ज्ञानपुंज तुम,
शक्तिस्वरूप तुम,
तुम स्वर की जननी हो।
शब्द तुम, अर्थ तुम,
गीत तुम, तुम संगीत की
राग-रागिनी हो।
वेद-पुराण-ग्रंथ का
ज्ञान हो तुम,
ऋषि मुनियों की वाणी का
प्राण हो तुम।
नतमस्तक हो,
प्रणवन्दन हो,
चरणों मे शीश झुकाती हूँ।
तुम्हारी शरण में आकर माँ
सद्बुद्धि, सद्ज्ञान मैं पाती हूँ....।।
