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Shalini Badole

Inspirational

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Shalini Badole

Inspirational

वंशजा

वंशजा

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देवभाषा की जाई मैं, लिपि देवनागरी रचाती हूँ।

वेद उपनिषद सहोदर मेरे प्रणवाक्षर मैं गाती हूँ।

मैं संस्कृत की वंशजा अब हिन्दी कहलाती हूँ।।


पाली, प्राकृत ने दिए हिंडोले, 

अवतार अपभ्रंश का पाती हूँ।

अवहट्ठ की गोदी में खेली,

नाम फ़ारसी अपनाती हूँ।

मैं संस्कृत की वंशजा...


अवधी, ब्रज मेरी सखी सहेली,

शौरसेनी कुल से आती हूँ।

उर्दू, रेख्ता को लिए साथ मैं,

खड़ी बोली बन जाती हूँ।

मैं संस्कृत की वंशजा...


लोक भाषाएँ बेटियाँ मेरी, लोक राग मैं सुनाती हूँ।

लोकरंग में रंगकर खुद को,

उत्सव मैं मनाती हूँ।

मैं संस्कृत की वंशजा...


तहजीब गंगा-जमुनी मेरी,

जन-गण-मन में गाती हूँ।

धड़कन हूँ हिन्दुस्तान की,

मैं जुबां हिन्दवी अपनाती हूँ।


मैं संस्कृत की वंशजा....


मान दिया मदनमोहन ने, सरस्वती से प्रतिष्ठा पाती हूँ।

मातृभाषा हूँ तुम्हारी, राष्ट्रभाषा क्यों ना बन पाती हूँ?

मैं संस्कृत की वंशजा अब हिन्दी कहलाती हूँ।।



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