माँ की सीख
माँ की सीख
प्यार में दिल मेरा भी टूटा था पर,
मैंने कभी उफ तक नहीं किया।
आंसुओं का समंदर था अंदर पर,
मैंने कभी उसे बहने ही ना दिया।
याद है छोटा था तो चलते चलते,
मैं उस दिन रास्ते पर गिर गया था।
जोरों से रोया था सभी के सामने,
क्योंकि मेरा घुटना छिल गया था।
माँ ने मुझे चुप कराते हुए कहा,
बेटा आँसूओं से मुंह धोते नहीं हैं।
तुम तो बहादुर बच्चे हो और,
वैसे भी लड़के कभी रोते नहीं हैं।
वही सीख आज तक जिंदगी में,
मैं हर पल निभाता आया हूं।
जिम्मेदारियों का बोझ जितना भी हो ,
आंसू के उठाते आया हूं।
देखा है परेशानियों में रात रात भर,
ये लड़के कभी कभी सोते नहीं है।
मेरे जैसे कई लड़के हैं जो,
मुसीबतों में भी रोते नहीं हैं।
अभी कल ही पता चला मुझे कि,
माँ का अकस्मात देहांत हो गया।
वहाँ भी आंसुओं का समंदर,
मेरे दिल में ही दबा रह गया।
जाने क्यों सरेआम सभी से छुपकर,
कमरे में मैं दिन अकेले भर रोता रहा।
आंसुओं की बौछारों से खुद को,
खुलकर पूरी तरह भिगोता रहा।
आंसुओं को पोछा और खुद से कहा,
चुप हो जा यूँ हताश होते नहीं हैं।
माँ की दी हुई सीख याद रखना,
कि हम लड़के कभी रोते नहीं हैं।