मुझे एतबार है
मुझे एतबार है
उल्फ़त की ज़िन्दगी पे मुझे ऐतबार है
हाँ,प्यार है,किसी पे मुझे ऐतबार है
बदले हैं रंग रोज़ वो इतने कि क्या कहूँ
गिरगिट की सादगी पे मुझे ऐतबार है
ता-उम्र दुश्मनी भी निभाएगा दिल से वो
दुश्मन की पुख़्तगी पे मुझे ऐतबार है
ख़ुद्दारियों की नींद से जागे हैं कब सनम
अपनी भी ख़ुफ़्तगी पे मुझे ऐतबार है
नफ़रत मिटाएगी कभी ख़ुद को ही एक दिन
नफ़रत की ख़ुदकशी पे मुझे ऐतबार है
मशहूर है जहान में बुलबुल की सादगी
उनकी भी सादगी पे मुझे ऐतबार है
यूँ तो दोस्तों ने भी की है दुश्मनी मगर
क्यूँ फिर भी हर किसी पे मुझे ऐतबार है।