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Manju Joshi

Classics Inspirational

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Manju Joshi

Classics Inspirational

फाल्गुन

फाल्गुन

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फाल्गुन माह की धूम बड़ी है, 

अबीर-गुलाल लिए हाथों में, 

छुप उपवन में हरिप्रिया खड़ी है।


कान्हा मंद-मंद मुस्काये, 

कहो कैसे राधिका को रंग लगाएँ ?

ग्वाल- बाल सब सखा हैं संग में, 

गोपियाँ करत ठिठोली हैं,

पुष्पित-पल्लवित वन उपवन हैं, 

भौंरों का उनपर गुँजन प्यारा, 

नटखट राधिका दिखती भोली हैं।


कान्हा ने जो गुलाल मला है, 

रंग सभी हरिभक्तों पर चढ़ा है,

एक रंग में बंध गया मन, 

सब ओर छा रहा मधुर गीत मनोरम, 

फाग की धुन में झूम रहा धरा- गगन,

प्रेम अलौकिक है यह मनभावन, 


नयन झुकाए, मंद मुस्काए,

प्यारी राधिका रंग मलन लगी हैं, 

फाल्गुन माह की धूम बड़ी है, 

अबीर-गुलाल लिए हाथों में, 

छुप उपवन में हरिप्रिया खड़ी है।' 


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