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Kusum Joshi

Classics

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एक कथा: माँ सीता (राम-सिय वनवास)

एक कथा: माँ सीता (राम-सिय वनवास)

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मिथिलेश कुमारी अब अवध में,

रानी बनकर आई थी,

पर काल चक्र ने सिय जीवन में,

कुछ अलग ही निति बनायी थी,


कैकयी के संताप ने,

राम को वनवास दिया,

महलों का वैभव त्याग सिया ने,

राम संग वन प्रस्थान किया,


चित्रकूट हो पंचवटी या,

दुर्गम वन के जीवन में,

सीता ने पा लिया महल,

उस पथरीले कंकड़ पथ में,


जहां राम का वास,

सिया ने उसको घर संसार कहा,

महल हो चाहे भूस झोपड़ी,

अंतर फिर ना कोई रहा,


हो धूप छाँव की कठिन परीक्षा,

वो साथ राम का देती थी,

जिसने रखा नहीं कभी पग ज़मीं पर,

काँटों में भी चल देती थी,


पर अभी सिया को कुछ और परीक्षा,

जीवन में देनी बाकी थी,

नियति ने सिय जीवन हेतु,

क्रूरता अधिक कुछ ठानी थी।


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