एक कथा: माँ सीता (सीता-हरण)
एक कथा: माँ सीता (सीता-हरण)
छल से रावण ने वन में,
सीता का अपहरण कर लिया,
सीता पर मोहित हो रावण,
उसे उठा लंका ले गया,
सोने का महल लंका में ,
सिय को लंकेश दिखाता था,
इस महल की तुम रानी बन जाओ,
यह कहकर उसे लुभाता था,
सिय ने रावण को चेताया,
मेरा मन तो राम साथ है,
शरीर ये चाहे ले ले कोई,
हृदय ये मेरा राम पास है,
ना लोभ डिगाता था सिय को,
ना प्रताड़ना उसे डराती थी,
अशोक वाटिका में बैठ निरत,
राम को ही वो ध्याती थी,
सिय को आश्रम में ना पाकर,
व्याकुल राम अकुलाने लगे,
वन वैन फिरते जाते थे वो,
सिया सिया पुकारने लगे,
राम लखन उन घने वनों में,
सिय को खोजते जाते थे,
पर घने वनों के बीच सिया को,
कहीं नहीं वो पाते थे।