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Kusum Joshi

Classics

4.5  

Kusum Joshi

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एक कथा: माँ सीता (लव-कुश भाग -1)

एक कथा: माँ सीता (लव-कुश भाग -1)

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वन में सिय को वाल्मीकि ने,

आश्रम में स्थान दिया,

दो पुत्रों की माँ बनी,

राम को वंश सम्मान दिया,


लव कुश नाम रखा शिशुओं का,

सीता का जीवन उनसे चलता था,

उनके संग ही खेल खेल,

कष्टों पर मलहम लगता था,


सारे कष्टों की सहकर भी,

सदा राम को ध्याती थी,

अपने दोनों बच्चों को,

स्वाभिमानी वीर बनाती थी,


महलों की साम्राज्ञी थी,

वन में जीवन बीत रहा था,

श्री राम की अर्धांगिनी थी पर,

कष्टों में यौवन रीत रहा था,


समय बीतता चला गया,

लव कुश कुशल योद्धा बनते जाते थे,

वाल्मीकि जी गुरु थे उनके,

उनको रामायण रोज पढ़ाते थे,


जान राम की कथा राम का,

आदर लव कुश करते थे,

अवध के राजा से मिलने को,

लालायित से रहते थे,


राम के ही वंशज थे दोनों,

राम के जैसे शौर्यवान थे,

सम्बन्ध जानते नहीं राम से,

पर राम सकल सुमिरन निधान थे।



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